उत्तराखंड प्रदेश की राजधानी देहरादून में चार मंजिला दून लाइब्रेरी का हुआ उद्घाटन, धर्म नगरी हरिद्वार में अब भी लाइब्रेरी को तरसते लोग,,,,,,
उत्तराखंड प्रदेश की राजधानी देहरादून में चार मंजिला दून लाइब्रेरी का हुआ उद्घाटन, धर्म नगरी हरिद्वार में अब भी लाइब्रेरी को तरसते लोग,,,,,,
ABPINDIANEWS, देहरादून- राजधानी स्मार्ट सिटी परियोजना के अन्तर्गत चार मंजिला बिल्डिंग मॉर्डन दून लाइब्रेरी का निर्माण परेड ग्राउण्ड में लैन्सडाउन चौक के निकट देहरादून में 3000 वर्ग मीटर भूमि पर किया गया है।
दूनलाइब्रेरी परियोजना का उद्देश्य अधिकतम पाठकों को शिक्षा हेतु शांतिपूर्ण वातावरण एवं अत्याधुनिक सुविधाओं का लाभ प्रदान करना है। उक्त परियोजना के अन्तर्गत G+3 संरचना का निर्माण किया गया है। जिसमें लगभग 400 से 500 पाठकों के अध्ययन की व्यवस्था की गयी है।
भूतल में सभी प्रशासनिक कक्ष जैसे निदेशक कक्ष, लाइब्रेरियन कक्ष, टैक्निकल स्टॉफ कक्ष, कैफेटेरिया, BOH एवं बैठक कक्ष, कम्यूनिटी हॉल (16 पाठकों की धारण क्षमता सहित), बहुउद्देशीय हॉल (100 पाठकों की धारण क्षमता सहित ) तथा बच्चों के लिये चिल्ड्रन सेवान हैं। इसके साथ ही अन्य तीन तलों में अध्ययन व बुक्स रखने हेतु पर्याप्त स्थान है। द्वितीय तल में 30 कम्प्यूटर सिस्टम सहित कम्प्यूटर लैब भी उपलब्ध करायी गयी है।
इसके अतिरिक्त सभी तलों में महिलाओं, पुरुषों एवं विकलांगों की उपयोगिता के अनुरूप स्मार्ट टायलेट का निर्माण किया गया है। पीने के पानी की व्यवस्था, स्मार्ट लाइब्रेरी को ध्यान में रखते हुए बायोमैट्रिक व्यवस्था, लाइब्रेरी की सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से 26 सी०सी०टी०वी० कैमरा 50000 RFID टैग, 1 नंबर 75 स्मार्ट स्क्रीन, हरित वातावरण युक्त ओपन एरिया थियेटर, विद्युत की समस्या को ध्यान में रखते हुए सौर ऊर्जा पैनल की व्यवस्था, पर्याप्त पार्किंग व्यवस्था आदि आधुनिक सुविधाओं के साथ शान्तिपूर्ण हवादार व वातानुकूल वातावरण प्रदान किया गया है।
वहीं दूसरी और प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थल हरिद्वार में लाइब्रेरी का मामला काफी दिनों से असमंजस चल रहा है। फाइलों की माने तो हरिद्वार में भी काफी समय पहले लाइब्रेरी का निर्माण हो चुका है परंतु वास्तविकता फाइलों से बिल्कुल अलग है। धर्मानगर हरिद्वार में निर्धारित लाइब्रेरी की भूमि पर ना तो कोई भवन बनाया गया है और ना ही लाइब्रेरी का कोई नामो निशान है। पढ़ाई में रुचि रखने वाले हरिद्वार के जागरूक लोगों एवं छात्रों द्वारा कई बार उठाए जाने के बाद भी इस मुद्दे पर प्रदेश सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया जिसके चलते धर्म नगरी जनता अपने को ठगा सा महसूस कर रही है।