कोटद्वार में स्कूल बसों का बुरा हाल, आपके जिगर का टुकड़ा स्कूल बस में कितना सुरक्षित?

कोटद्वार में स्कूल बसों का बुरा हाल, आपके जिगर का टुकड़ा स्कूल बस में कितना सुरक्षित?

हर पेरेंट्स अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर हमेशा ही चिंतित रहते है उनका सपना होता है की हमारा बच्चा आगे चलकर कामयाब हो और हमारा नाम रोशन करे। लेकिन क्या आपने कभी स्कूल मैनेजमेंट या परिवहन विभाग से ये जानना चाहा की स्कूल बस में आपका बच्चा कितना सुरक्षित है? क्या स्कूल बस के लिए सरकार और न्यायालय द्वारा जारी नियमों को कोटद्वार की स्कूल बसों में भी पूरा किया जा रहा है या नही।

एक तरफ कोटद्वार एआरटीओ शशि दुबे द्वारा यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए लगातार कार्य की जा रहा है वही दूसरी तरफ कुछ समय पूर्व पौड़ी जनपद की तत्कालीन एसएसपी स्वेता चौबे द्वारा जब ट्रैफिक इंस्पेक्टर को स्कूल बसों में मानक चैक करते हुए चालान करने को कहा गया तो कोटद्वार की कई स्कूलबसों में बड़ी लापरवाही सामने आई, इतना ही नहीं कुछ बसों में बच्चो को उतारने चढ़ाने के लिए सहायक तक नहीं था और ऐसे वाहनों पर कार्यवाही के लिए जब ड्राइवर से बस के कागज मांगे गए तो ड्राइवर का कहना था की ये बस आरआई प्रदीप रौथाण साहब की है, और इसी तरह कई बसें रोकने पर देखा गया की उनके द्वारा आरआई प्रदीप रौथाण का नाम लिया गया। प्रदीप रौथाण कुछ समय पहले कोटद्वार कार्यालय में तैनात थे जो कोटद्वार के ही रहने वाले है। जिसके बाद हमने स्वयं प्रदीप रौथाण से बात की तो उन्होंने बताया की हमारा परिवार गाड़ियों के काम से बहुत पहले से जुड़ा है और कई गाड़ी मालिक और ड्राइवर मेरे नाम का गलत इस्तेमाल कर रहे है जबकि मेरा उनसे कोई संबंध नहीं है। साथ ही कहा की यातायात के नियम सबके लिए बराबर है चाहे वो कोई भी हो। लेकिन उस दौरान चेकिंग में पाया गया की कई स्कूल बसों में परिचालक/सहायक नही है, जिन बसों में छात्राएं ज्यादा है उनमें महिला सहायक नही है, बच्चो की संख्या बहुत अधिक थी जिस कारण बच्चे ठीक से बैठ तक नहीं पा रहे थे।

आपको बता दें की देश के सर्वोच्च न्यायालय ने स्कूल बसों के लिए निम्न निर्देश दिए है आप भी अपने बच्चो की स्कूल बसों में ये सब जरूर देखे।

• बस के पीछे और आगे “स्कूल बस” अवश्य लिखा होना चाहिए।

• यदि यह किराए की बस है, तो “स्कूल ड्यूटी पर” स्पष्ट रूप से दर्शाया जाना चाहिए

• बस में फर्स्ट-एड-बॉक्स अवश्य होना चाहिए।

• बस की खिड़कियों में क्षैतिज ग्रिल लगी होनी चाहिए।

• बस में अग्निशामक यंत्र अवश्य होना चाहिए।

• बस पर स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर अवश्य लिखा होना चाहिए।

• बस के दरवाज़ों पर विश्वसनीय ताले लगे होने चाहिए।

• स्कूल बैग को सुरक्षित रखने के लिए सीटों के नीचे जगह होनी चाहिए।

• बस में स्कूल का एक अटेंडेंट होना चाहिए। स्कूल कैब में स्पीड गवर्नर लगे होने चाहिए और अधिकतम गति सीमा 40 किलोमीटर प्रति घंटा होनी चाहिए।

• स्कूल कैब की बॉडी हाईवे पीले रंग की होनी चाहिए और वाहन के चारों ओर बीच में 150 मिमी चौड़ाई की हरे रंग की क्षैतिज पट्टी होनी चाहिए और वाहन के चारों तरफ ‘स्कूल कैब’ शब्द प्रमुखता से प्रदर्शित होना चाहिए।

• यदि स्कूली बच्चों की उम्र 12 वर्ष से कम है, तो ले जाने वाले बच्चों की संख्या अनुमत बैठने की क्षमता से डेढ़ गुना से अधिक नहीं होगी। 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को एक व्यक्ति माना जाएगा।

• स्कूल कैब के ड्राइवर के पास कम से कम चार साल की अवधि के लिए एलएमवी-ट्रांसपोर्ट वाहन चलाने का वैध लाइसेंस होना चाहिए और अनिवार्य रूप से हल्के नीले रंग की शर्ट, हल्के नीले रंग की पतलून और काले जूते पहनना चाहिए। उसका नाम आईडी शर्ट पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए।

• वाहन के अंदर स्कूल बैग रखने के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए और बैग को वाहन के बाहर नहीं लटकाया जाना चाहिए या छत के कैरियर पर नहीं रखा जाना चाहिए।

• बस चालक को स्कूल कैब में ले जाए जाने वाले बच्चों की पूरी सूची रखनी होगी, जिसमें नाम, कक्षा, आवासीय पता, रक्त समूह और रुकने के बिंदु, रूट योजना आदि का उल्लेख होना चाहिए।

• किंडरगार्टन के मामले में, यदि स्कूल और माता-पिता द्वारा पारस्परिक रूप से मान्यता प्राप्त कोई अधिकृत व्यक्ति बच्चे को रुकने वाले स्थानों से लेने नहीं आता है, तो बच्चे को स्कूल में वापस ले जाया जाएगा और उनके माता-पिता को बुलाया जाना चाहिए।

 

नवीनतम परिवर्धन

 

आस-पास होने वाली घटनाओं के कारण भारत में संबंधित अधिकारियों द्वारा छात्रों के लिए सुरक्षा और सुरक्षित सवारी और अभिभावकों के लिए राहत सुनिश्चित करने के लिए स्कूल बस प्रबंधन पर नियम बनाए गए हैं।

 

स्कूल बसों में जीपीएस और सीसीटीवी अनिवार्य कर दिया गया है। स्कूल परिसर में भी सीसीटीवी लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। सीसी कैमरा सीसीटीवी के फुटेज को 60 दिनों तक रखा जाना चाहिए और किसी भी जांच के उद्देश्य से पुलिस को सौंपा जाना चाहिए।

भारत में सभी स्कूल बसों का बाहरी रंग सुनहरा पीला होना अनिवार्य है। यह रंग IS 5 -1994 (समय-समय पर संशोधित) के अनुसार होगा।

पहचान के लिए, बस के सभी तरफ खिड़की के स्तर के नीचे ‘गोल्डन ब्राउन’ रंग का 150 मिमी चौड़ा बैंड लगाया जाएगा।

भारत में सभी स्कूल बसों में दो आपातकालीन निकास अनिवार्य हैं। एक बस के पिछले आधे हिस्से में दायीं ओर और दूसरा बस के पिछले हिस्से में। इन दरवाजों को संचालित करने के लिए बच्चों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

जब भी बस का यात्री दरवाज़ा या कोई आपातकालीन निकास खुला हो, तो बस चलने में असमर्थ होनी चाहिए। ड्राइवर को चमकती लाइट/बजर या अन्य उपयुक्त माध्यम से दरवाजे खुले होने का संकेत मिलना चाहिए।

सबसे कम फुटस्टेप की ऊंचाई जमीन से 220 मिमी से अधिक नहीं होनी चाहिए। सीढ़ियों को मोड़े या पीछे किए बिना बस चलने में असमर्थ होनी चाहिए।

बस में सभी सीटें आगे की ओर मुंह वाली होनी चाहिए। जब भी यात्री का दरवाजा खुलता है तो स्टॉपिंग सिग्नल, खतरे की चेतावनी और स्टॉप सिग्नल आर्म को काम करना चाहिए।

kotdwarnews

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