कोटद्वार में कुछ नामी स्कूलों में शिक्षकों का आर्थिक शोषण होने का मामला सामने आया है, लेकिन नौकरी जाने के डर से शिक्षक खुलकर बोलने और शिक्षा विभाग में शिकायत करने से डरे हुए है। कुछ दिन पहले ग्रेटर नोएडा के एक स्कूल को लेकर मीडिया के छपी खबर में ऐसा ही कुछ खुलासा हुआ था जिसके बाद कोटद्वार में भी कुछ जगह ऐसा ही हाल होने की खबर मिली है। जहा शिक्षकों के खाते में वेतन जमा होने के 72 घंटे से भी कम समय में उसका पूरा वेतन गायब हो जाता है। शिक्षक का दावा है कि उसके खाते से पैसे लेने के बाद निजी स्कूल का प्रबंधन उसे नकद भुगतान करता है। अंत में उसे जो मिलता है वह खाते में जमा राशि से 10,000 रुपये कम होता है जो उसके खाते में डाली गई थी। कथित रूप से यह एक प्रचलित घोटाला है कि अंडरपेड शिक्षकों को यूपी के ग्रेटर नोएडा के कई निजी स्कूलों में सब कुछ चुपचाप बर्दाश्त करते हुए सहन करना पड़ता है। इन टीचर्स को सैलरी के रूप में जितना पैसा दिया जाता है और जितना पैसा देने का वादा किया जाता है वह लालच और शोषण की एक कहानी है। जो अब कोटद्वार सहित कई जगह भी शुरू हो गई है, लेकिन कोटद्वार के निकट कुछ स्कूल ऐसे भी है जहा बच्चे और स्टाफ कोटद्वार का है लेकिन स्कूल यूपी में होने के कारण शिकायत होना और उस शिकायत पर कार्यवाही होना भी मुश्किल है, जिनकी देखा देखी अब कोटद्वार के भी ये शुरू हो चुका है।
क्यों नही हो पाती कार्यवाही
दरअसल नौकरी बचाने के चक्कर में शिक्षक खुलकर ये शिकायत शिक्षा विभाग या अन्य संबंधित विभाग को नहीं कर पाते, जिस कारण इस तरह के मामले कभी नही उठ पाते। वही फाइलों में स्कूल प्रबंधन अपना हिसाब बिल्कुल क्लियर रखता है। इस कारण जब तक कोई शिक्षक खुद आगे आकर शिकायत नही करेगा तब तक ये सिलसिला यू ही चलता रहेगा।